गुलदार केै जबड़े से मौत छीन लायाः देवराड़ी का ग्राम प्रहरी बना जिंदा मिसाल

गुलदार के जबड़ों से मौत छीन लाई हिम्मत — देवराड़ी के ग्राम प्रहरी की जिंदादिली

कभी-कभी असली नायक वह नहीं होते जो वर्दी या बड़ी कुर्सी पर बैठे हों, बल्कि वे होते हैं जो संकट की घड़ी में इंसानियत की हिफाजत के लिए अपनी जान की बाजी लगा देते हैं। ऐसा ही एक उदाहरण पेश किया है पौड़ी जनपद के पोखड़ा ब्लॉक के देवराड़ी गांव के 26 वर्षीय ग्राम प्रहरी अंकित कंडारी ने।


घटना: जब मौत सामने थी

10 दिसंबर की सुबह करीब 11:15 बजे, देवराड़ी गांव से करीब 250 मीटर दूर जंगल के पास 36 वर्षीय महिला कंचन लकड़ी बीन रही थीं। तभी अचानक एक गुलदार ने उन पर हमला कर दिया और उसकी गर्दन जबड़े में दबोच ली। महिला की चीखें पूरे गांव में गूंज उठीं।

अंकित की बहादुरी

आवाज़ सुनते ही अंकित बिना एक पल गँवाए मौके की ओर दौड़ा। पहले उसने पत्थर फेंककर गुलदार को भगाने की कोशिश की, लेकिन जब गुलदार नहीं हटा, तो अंकित ने कुछ सोचे बिना सीधे उस पर झपट्टा मार दिया। अपने हाथों से उसने कंचन को जानवर के जबड़ों से खींचकर बाहर निकाला।कुछ सेकंड की यह जंग जानलेवा भी हो सकती थी, लेकिन अंकित का साहस और ग्रामीणों का शोर देखकर गुलदार डरकर जंगल की ओर भाग निकला।
जीवन की जंग और मानवता की जीत

खून से लथपथ कंचन की सांसें चालू थीं। अंकित ने खुद अपने कपड़ों से उसका खून रोकने की कोशिश की और 108 एंबुलेंस को सूचना दी।
पहले उसे सतपुली और फिर एयर एंबुलेंस से एम्स ऋषिकेश भेजा गया। मौके पर मौजूद लोगों ने बताया कि अगर अंकित कुछ सेकंड भी देर करता, तो कंचन की जान नहीं बचती।

सिर्फ एक ग्राम प्रहरी, पर असली हीरो

अंकित कंडारी न तो किसी बड़ी पद पर हैं, न ही मोटा वेतन पाते हैं — वे केवल ₹2000 महीना के मानदेय पर ग्राम प्रहरी की ड्यूटी निभा रहे हैं, वह भी कई महीनों बाद भुगतान मिलता है।
लेकिन जब उनसे पूछा गया कि उन्होंने जान जोखिम में डाल क्यों दी, तो अंकित का जवाब था:

“अगर उसकी जगह कोई और भी होता, तो मैं वही करता।


उत्तराखंड का गौरव

देवराड़ी गांव का यह बेटा आज पूरे उत्तराखंड के लिए प्रेरणा बन चुका है। जहाँ सिस्टम की सीमाएँ दिखाई देती हैं, वहाँ ऐसे युवा समाज की असली ताकत बनते हैं। उनकी हिम्मत हमें याद दिलाती है कि वीरता पद या वेतन से नहीं, दिल से तय होती है।

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